लिंगेश्वरी माता मंदिर के खुले द्वार, श्रद्धालुओ की लगी लम्बी कतार, साल में सिर्फ एक बार खुलता हैं मंदिर का पट…
कोण्डागांव : जिले के फरसगांव से बड़े डोंगर मार्ग पर 09 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम आलोर से 03 किलोमीटर दूर ग्राम झाटीबन की पहाड़ियों में एक ऐसी गुफा वहां विराजमान हैं, माता लिंगेश्वरी, उस गुफा मंदिर का पट साल में एक बार एक ही दिन के लिए खोला गया। लिंगेश्वरी माता के मंदिर का पट खोलने की तैयारी रात में करीब 4 बजे समिति के सदस्य, ग्राम प्रमुख व पुजारी के द्वारा किया गया। पूरे रिति रिवाज से पूजा अर्चना करने बाद गुफा मंदिर के मुख्यद्वार पर रखे पत्थरो को हटा कर खोला गया।
गुफा मंदिर का पट खोलने के बाद दर्शन व मन्नत के लिए आए हजारों की संख्या में आए श्रद्धालुओं को गुफा के बाहर से माता के दर्शन करने दिया गया । मंदिर समिति , जिला प्रशासन, पुलिस की टीम मंदिर तक पहुंचने में श्रद्धालुओ की मदद कर रहे हैं । पिछले साल की अपेक्षा इस साल दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ी है।
श्रद्धालुओ सुबह से लेकर देर रात तक बारी बारी से माता के दर्शन कर अपनी इक्छा पूर्ति की कामना करेंगे । वही दर्शनार्थियों की लंबी कतार 5 किलोमीटर से अधिक देखने को मिला, जहाँ हजारों श्रद्धालु अपनी अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए झाटीबन की लिंगेश्वरी माता के दर्शन करने पहुचे है।
इस बार गुफा के अंदर मिले बिल्ली के पैर के निशान…
लोर झाटीबन में प्रति वर्ष भादो महिना की नवमी तिथि के बाद आने वाले प्रथम बुधवार को इस प्रसिद्ध लिंगाई माता गुफा का द्वार खुलता है। सेवा अर्जी के बाद उसके अंदर रेत में उभरे पदचिन्हों को देखकर पुजारी द्वारा वर्ष भर की भविष्यवाणी की जाती है। समिति के सदस्यों ने कहा कि प्रत्येक वर्ष अलग-अलग जीव जंतुओं के पद चिन्ह गुफा के अंदर रेत में उभरे रहते हैं। जैसे रेत पर यदि कमल फूल के निशान दिखाई दे तो धन संपत्ति वृद्धि, हाथी पांव के निशान दिखे तो परिपूर्ण धनधान्य, यदि घोड़े के खुर के निशान मिले तो युद्ध और कला, बिल्ली के पैर के निशान मिले तो भय, बाघ के पैर के निशान मिले तो जंगली जानवरों का आतंक और मुर्गी के पैर के निशान दिखाई दे तो अकाल का प्रतिक माना जाता है जिससे उस वर्ष क्षेत्र में के भविष्य का आकलन किया जाता है। इस वर्ष बिल्ली के पैर के चिन्ह पाएं गए जिसका मतलब समिति के द्वारा बताया गया की इस वर्ष मंदिर के उत्तर दिशा वाले क्षेत्र में भय और वाद विवाद की स्तिथि रहेगी ।
संतान की कामना लेकर दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
संतान की कामना को लेकर श्रद्धालु व दर्शनार्थी खीरा लेकर आते है उसे ही माता को चढाया जाता है तत्पश्चात पुजारियों द्वारा उन्हें प्रसाद स्वरूप खीरे को नाखून से बराबर हिस्सों में फाड़कर दंपति उसे ग्रहण करते है। लोग संतान की कामना लेकर छग प्रदेश के साथ साथ अलग अलग प्रांत से आते हैं, यहाँ पर कतार बद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार करते है। माता के दर्शन के लिए राज्य के विभिन्न प्रांत सहित राज्य के बाहर दूसरे राज्य से भी दर्शनार्थी पहुंचे थे । वही संतान की कामना लिये पहुचे श्रद्धालु दुलेन्द्र कुमार साहू, बालोद जिला निवासी औऱ पीताम्बर साहू अर्जुनी निवासी ने बताया कि अन्य लोगों के माध्यम से मंदिर की मान्यता के बारे में पता चला है तो माता के दर्शन करने आये हैं।