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वैश्विक शिखर सम्मेलन : अध्यात्म से जुड़ने पर हम समस्या के समाधान की तरफ बढ़ते हैं – राज्यपाल थावरचंद गहलोत

वैश्विक शिखर सम्मेलन (शाम का सत्र) 5 अक्टूबर 2024

– अध्यात्म से जुड़ने पर हम समस्या के समाधान की तरफ बढ़ते हैं : राज्यपाल थावरचंद गहलोत

– राज्यपाल बोले- चरित्र भी पर्यावरण संतुलन के लिए आवश्यक है

– क्लाइमेट चैंज विषय पर शाम का सत्र आयोजित
– केंद्रीय राज्य जल शक्ति मंत्री राजभूषण चौधरी भी रहे मौजूद

आबू रोड। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के शांतिवन में चल रहे वैश्विक शिखर सम्मेलन में शनिवार शाम को आयोजित सत्र मेें कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा कि हमारे यहां प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए जल, वृक्षों और प्रकृति पूजन का प्रावधान है। हमारी प्राचीन परंपरा आज भी पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रासंगिक है। हम हमेशा से ही जल, थल, वायु के संरक्षण का काम करते रहे हैं। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए समग्र प्रयास की आवश्यकता है। हम संकल्प से सिद्धि तक पहुंचने का प्रयास करेंगे। ब्रह्माकुमारी संस्था अध्यात्म के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। हम अध्यात्म से जुड़ते हैं तो सारी समस्या हमारे ध्यान में आती है और हम समाधान की तरफ बढ़ते हैं। हम भी सुधरते हैं और दूसरों को भी सुधारने का प्रयास करते हैं। मैं आपका भी आह्वान करता हूं कि प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी भी दिशा में कार्य कर रहा है अध्यात्म से जुड़ें।
राज्यपाल ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्था में साफ-सुथरे वातावरण के साथ मानसिक व आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखते हैं। मानसिक समस्याओं का समाधान आध्यात्मिकता में ही निहित है। सामाजिक समता व समरसता बनाने की आवश्यकता है। ब्रह्माकुमारी संस्थान सेवा के माध्यम से कार्यशालाओं का आयोजन कर अध्यात्म से लोगों को समर्थ बनाने का कार्य कर रही है। चरित्र भी पर्यावरण संतुलन के लिए आवश्यक है। ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा महान कार्य किया जा रहा है। यहां आकर हमें सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। मेरा ब्रह्माकुमारीज़ में तीसरा दौरा है। आप सब यहां से प्रेरणा लेकर जाएंगे ताकि पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।

सामूहिक प्रयासों की जरूरत है-
केंद्रीय राज्य जल शक्ति मंत्री राजभूषण चौधरी ने कहा कि मनुष्य ईश्वर की अद्वितीय रचना है। प्रकृति के पांच तत्वों पर जीवन निर्भर करता है। हमारी सनातन परंपरा में प्रकृति पूजन की भी परंपरा रही है। हमारी ये प्रवृत्ति समाप्त हो रही है, जिसका दुष्परिणाम हम देख रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। देश के सीमाएं हम मनुष्यों ने बनाई हैं। क्लाइमेट चेंज से बचने के लिए सबको मिलकर प्रयास करना होगा। हमारी सरकार भी लगातार क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभाव से बचने का प्रयास कर रही है। एक पेड़ मां के नाम जैसे अभियान से हम क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। हम आध्यात्मिकता के मूल सिद्धांतों को अपनाकर जलवायु परिवर्तन की समस्या को सुलझा सकेंगे। जहां तक ब्रह्माकुमारी का संदर्भ है, इसकी स्थापना स्वयं ज्योतिर्बिंदु परमात्मा ने प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा की है।

घर-घर में मेडिटेशन सेंटर खोलने की जरूरत-
भारत सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी सुधीर कुमार बरनवाल ने कहा कि हम भौतिक संसाधन, सुविधाएं बढ़ाने का तो ध्यान रखते हैं लेकिन कोई माइंड, मन को स्वस्थ रखने के बारे में ध्यान नहीं रखता है। आज घर-घर में मेडिटेशन सेंटर खोलने की जरूरत है। मैं खुद पिछले 15 साल से राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में मेडिटेशन के अनेक फायदे महसूस किए हैं।

इन्होंने भी किया संबोधित-
ब्रह्माकुमारीज़ की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके जयंती दीदी, महासचिव राजयोगी ब्रह्माकुमार बृजमोहन भाई, डेनमार्क की निदेशिका सोंजा ओहल्सन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन बीके श्रीनिधि भाई ने किया। ब्रह्माकुमारीज़ की ओर से उड़ीसा के प्रतिदिन टीवी व समाचार पत्र मैनेजिंग डायरेक्टर सुधीर कुमार पंडा को राष्ट्र चेतना पुरस्कार से राज्यपाल गहलोत द्वारा सम्मानित किया।

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