पहली दादी जो मुख्य प्रशासिका के साथ युवा प्रभाग की अध्यक्षा भी रहीं

– वर्ष 2006 में निकाली गई स्वर्णिम भारत युवा पद यात्रा ने बनाया था लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड
– 40 साल से युवा प्रभाग की थी अध्यक्षा, प्रभाग से दो लाख निर्व्यसनी युवा जुड़े
आबूरोड, राजस्थान। राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को युवा दादी के नाम से भी जाना जाता था। शुरुआत से ही आपको युवा वर्ग से विशेष लगाव और प्रेम रहा। आपने अपना पूरा जीवन युवाओं के सशक्तिकरण और नवनिर्माण में लगा दिया। आप ब्रह्माकुमारीज़ की एकमात्र ऐसी दादी रहीं जिन्होंने युवा प्रभाग की स्थापना से लेकर आज तक जिम्मेदारी संभाली। 40 साल में युवा प्रभाग ने अनेक कीर्तिमान रचे।
आपके नेतृत्व में वर्ष 2006 में निकाली गई युवा पदयात्रा ने लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में जहां नाम दर्ज कराया था। इसमें देशभर में निकाली गईं सभी यात्राओं ने 30 हजार किमी की पैदल यात्रा तय की थी। वहीं दादी ने भी 13 मेगा पैदल यात्राएं की। इससे 1.25 करोड़ लोगों को शांति, प्रेम, सद्भाव, एकता और विश्व बंधुत्व का संदेश दिया गया। इसमें पांच लाख ब्रह्माकुमार भाई-बहनों ने भाग लिया।
भारत एकता युवा पद यात्रा-
दादी के निर्देशन में वर्ष 1985 में भारत एकता युवा पद यात्रा निकाली गई। इसने देशभर में 12550 किमी का सफर तय किया। कन्याकुमारी से दिल्ली तक सबसे लंबी 3300 किमी की पद यात्रा रही। तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह ने यात्रा का शुभारंभ किया था।
डेढ़ लाख लोगों से भरवाए नशामुक्ति प्रतिज्ञा पत्र-
वर्ष 1989 में आपके नेतृत्व में अखिल भारतीय नैतिक जागृति अभियान चलाया गया। देशभर से 67 मेटाडोर रैली निकाली गईं। 1903 गांवों को कवर करते हुए 1,36,734 युवाओं से नशामुक्ति के प्रतिज्ञा पत्र भरवाए। वर्ष 1993 में सद्भाव के लिए युवा साइकिल यात्री निकाली गई, जिसने 3009 गांवों को कवर करते हुए 9,66,508 लोगों के अध्यात्म और योग का संदेश दिया। इन यात्राओं पर आपको देश-विदेश में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वर्ष 2013 में शांतिदूत युवा साइकिल यात्रा देशभर में निकाली गई।
स्वर्णिम भारत यात्रा-
वर्ष 2017 में तीन वर्षीय स्वर्णिम भारत यात्रा निकाली गई। देशभर में 55230 किमी की यात्रा कर 5900 कार्यक्रमों से 893275 लोगों को संदेश दिया। 733505 युवाओं को राजयोग मेडिटेशन के गुर सिखाए गए।