छत्तीसगढ़

राष्ट्रीय पुस्तक मेले में 108 साल पुरानी किताबों का दुर्लभ संग्रह बना आकर्षण का केंद्र

छत्तीसगढ़/बिलासपुर : राष्ट्रीय पुस्तक मेले का शुभारंभ किया गया, जिसका उद्देश्य युवा लेखकों और साहित्यकारों को पहचान दिलाना और उनकी कृतियों को पाठकों तक पहुंचाना है. छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के तत्वावधान में राघवेंद्र सभा भवन में आयोजित यह मेला 22 दिसंबर तक चलेगा. मेले में 108 साल पुरानी किताबों का दुर्लभ संग्रह और देशभर के प्रकाशकों की पुस्तकों का भव्य प्रदर्शन किया गया है.

संघ के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि आज के युवा किताबों से दूरी बना रहे हैं. इस पुस्तक मेले के माध्यम से उन्हें पुस्तकों के प्रति रुचि जगाने का प्रयास किया जा रहा है. मेले में विभिन्न विषयों जैसे धार्मिक, सामाजिक, खेल, शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की सामग्री भी उपलब्ध है. देश के बड़े शहरों के प्रकाशकों और लेखकों ने इसमें अपने स्टॉल लगाए हैं, ताकि हर पाठक को उसकी पसंद की किताब एक ही स्थान पर मिल सके.

पुस्तक मेला में पहुंचे राजेश कुमार ने कहा “यह एक सराहनीय पहल है. कई ऐसी किताबें, जो आसानी से उपलब्ध नहीं हो पातीं, यहां मिल रही हैं. इस तरह के आयोजनों से लोगों की पढ़ने की रुचि बढ़ेगी.”गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की छात्राएं अदिति और अतुलिका ने मेले की सराहना करते हुए कहा “बिलासपुर में ऐसा आयोजन बहुत महत्वपूर्ण है. यहां तरह-तरह की किताबें उपलब्ध हैं, जो शहर के किसी डिपो में नहीं मिलतीं. इस पहल से हमारी पढ़ाई और रुचि दोनों को बढ़ावा मिला है.”

दुर्लभ संग्रह और विविधता बना आकर्षण का केंद्र
पुस्तक मेले का मुख्य आकर्षण 108 साल पुरानी किताबों का संग्रह है. पाठकों को धार्मिक, ऐतिहासिक और साहित्यिक पुस्तकों का अनूठा खजाना एक ही स्थान पर उपलब्ध है. पुस्तक मेला न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए एक अवसर है, बल्कि युवाओं को पढ़ने की ओर प्रेरित करने और किताबों की अहमियत समझाने का एक सशक्त माध्यम भी बन रहा है.

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