योग परम औषधि है जो हमारे रोगों को समाप्त कर नई उर्जा से भर देता है – ब्रह्माकुमार नारायण भाई
नवापारा राजीम ,छत्तीसगढ़ विश्व ध्यान दिवस विषय पर आयोजित कार्यक्रम में संस्थान के वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार नारायण भाई इंदौर ने सेठ फूलचंद स्मृति अग्रवाल महाविद्यालय के विद्यार्थियों को कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान का मुख्य आधार ही योग है। संस्थान द्वारा स्थापना के समय से ही विश्वभर में योग का संदेश दिया जा रहा है।
ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने आगे कहा की राजयोग मेडिटेशन का कमाल है कि आज लाखों लोग इसे अपनाकर जीवन जीने की कला सीखे हैं। मेडिटेशन की ताकत से हम विश्वगुरु बनकर पूरे विश्व का नेतृत्व कर सकते हैं। प्रकृति और विश्व की परिस्थितियां हमें इशारा दे रही हैं कि हमें अपनी योग की शक्ति को बढ़ाने की जरूरत है। विश्व ध्यान दिवस हमारे योग के पुरुषार्थ को बढ़ाने के लिए एक अच्छी पहल है। आज हम सबके लिए खुशी, आनंद और उत्सव का दिवस है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने योग के महत्व को समझते हुए 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस मनाने की घोषणा की है। योग ही परम औषधी, ताकत, एनर्जी और ऊर्जा है जो हमारे रोगों , समस्याओं का नाश करने का सामर्थ रखता है। ध्यान दिवस को लागू करने के लिए विश्वभर की संस्थाओं ने प्रस्ताव रखा। इसमें खासकर भारत ने योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा।
उन्होंने ब्रह्माकुमार भाई-बहनों से आहृान किया कि जो आलस्य-अलबेलेपन में अमृतवेला मिस कर रहे हैं वह जागृत हो जाएं और सारी दुनिया को योग का संदेश देने के लिए ईश्वरीय कार्य में जुट जाएं। आप सभी को विश्व को शांति और परमात्म संदेश देना है। जन-जन को राजयोग मेडिटेशन का महत्व बताना है।
विश्व को शांति की ओर ले जाने वाला फैसला-
महाविद्यालय की प्रिंसिपल डॉक्टर शोभा गावरी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का विश्व ध्यान दिवस मनाने का यह फैसला संपूर्ण विश्व को विश्व शांति और सद्भावना की ओर ले जाने वाला है। आज विश्व को सबसे ज्यादा शांति की आवश्यकता है। जितने शांति, सद्भावना के प्रकंपन्न प्रभावित करेंगे तो हर एक आत्मा को शांति की महसूसता होगी। ध्यान ही वह माध्यम है जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाएगा। ध्यान ही वह विधि है जिससे हम अपने मन में एकाग्रता को हासिल कर सकते हैं।
गीता के छठें अध्याय में बताई गई है ध्यान की विधि-
बीके पूजा बहन ने कहा कि श्रीमद भागवत गीता के छठें अध्यात्म में ध्यान की विधि को बहुत ही स्पष्ट रीति से बताया गया है कि हे! अर्जुन आत्मा स्वयं का शत्रु और स्वयं का मित्र है। जब नकारात्मक के प्रभाव में आकर हम यह भूल जाते हैं कि मैं चैतन्य शक्ति एक आत्मा हूं तो वह नकारात्मकता का प्रभाव में आ जाता है। मैं आत्मा परमधाम की निवासी हूं। मैं आत्मा चैतन्य शक्ति हूं और मैं सुख, शांति, पवित्रता से भरपूर हूं। यह मेरे निजी गुण हैं। जब हमें इन बातों का ध्यान रहता है तो आत्मा, मन सकारात्मकता से भर जाती है। आपने सभी को राजयोग मेडिटेशन के अभ्यास से सभी को गहन शांति की अनुभूति कराई।
सभी का आभार प्रकट करते हुए लोमेश कुमार साहू ने बताया की राजयोग सभी योगो में सर्वश्रेष्ठ योग है। जिससे हम अपनी कर्म इंद्रियों को सूक्ष्म शक्तियों को कंट्रोल कर सकते हैं।