धर्म-आध्यात्म

माउंट आबू से निकला शान्ति, राजयोग और अध्यात्म का संदेश आज विश्वभर में गूंज रहा है

आबू रोड। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के संस्थापक ब्रह्मा बाबा की 56वीं पुण्य तिथि विश्व शांति दिवस के रूप में मनाई गई।

देश-विदेश से पहुंचे 15 हजार से अधिक भाई-बहनों ने ब्रह्ममुहूर्त से योग-साधना के माध्यम से बाबा के प्रति अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। डायमंड हाल में आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ बीके सदस्यों ने बाबा की विशेषताओं, गुणों के बारे में बताया। अलसुबह 3 बजे से ही हर कोई बाबा की याद में रमा नजर आया। मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने माउंट आबू में पांडव भवन में बाबा की स्मृति में बने शांति स्तंभ पर पहुंचकर अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस मौके पर सभी वरिष्ठ दीदियां और भाई मौजूद रहे।

डायमंड हॉल में सभा को संबोधित करते हुए अतिरिक्त महासचिव बीके डॉ. मृत्युंजय भाई ने कहा कि ब्रह्मा बाबा अव्यक्त होने के बाद भी आज भी हम सभी को प्रेरणा देते हैं। उनका तपस्वी और दिव्य जीवन लाखों ब्रह्मा वत्सों का सदा मार्गप्रदर्शित करता रहेगा। बाबा ने अपने हर कर्म से हमें शिक्षा दी है। बाबा ने अपने महान कर्मों से हम सभी के सामने एक लकीर खींच दी है जिस पर चलकर हम उनके समान निराकारी, निर्विकारी और निरहंकारी स्थिति बना सकते हैं। बाबा ने अपने निरंतर योग-तपस्या से संपूर्णता की स्थिति प्राप्त की। उनकी विराट सोच का कमाल है कि वर्ष 1937 में रोपा गया अध्यात्म का यह पौधा आज विराट वटवृक्ष बन गया है।

बीके रुक्मिणी दीदी ने कहा कि बाबा की प्रेरणाएं आज भी हम सभी का मार्गदर्शन करती हैं। गुजरात जोन की निदेशिका बीके भारती दीदी ने कहा कि ब्रह्मा बाबा से मिलकर हर एक भाई-बहनों को ऐसा लगता था कि बाबा मुझसे सबसे ज्यादा स्नेह करते हैं। माउंट आबू से निकला शान्ति, राजयोग और अध्यात्म का संदेश आज भारत सहित विश्व के 140 देशों में गूँज रहा है। लाखों लोग इस शांति के पथ पर चलकर अपना भाग्य बना रहे हैं। ब्रह्मा बाबा कहते थे एक दिन नारी शक्ति ही विश्व का कल्याण करेगी। उनका वह संकल्प आज साकार रूप लेता नजर आ रहा है।

खुद कर्म में करके दिखलाते थे बाबा-
चंडीगढ़ की बीके अनीता दीदी ने कहा कि ब्रह्मा बाबा जो बात कहते थे उसे खुद कर्म में करके दिखलाते थे। मैंने स्वयं उन्हें देखा है कि कैसे बाबा का एक एक कर्म आदर्श कर्म होता था। रात 2 बजे से जागकर वह परमात्मा के ध्यान में अंतर्ध्यान हो जाते थे। बाबा का एक एक वाक्य महावाक्य होता था।

वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके उत्तरा दीदी ने कहा कि निश्चय में ही विजय समाई रहती है। ब्रह्मा बाबा को यह निश्चय हो गया था कि परमात्मा का बताया मार्ग सही है तो उन्होंने एक पल में ही अपना सारा कारोबार समेटकर विश्व शांति की राह पर चल पड़े। हमारा जितना बड़ा लक्ष्य होगा तो लक्षण भी अपने आप आ ही जाते हैं।

140 देशों में पांच हजार से अधिक सेवाकेंद्रों पर मनाई गई पुण्यतिथि-

ब्रह्मा बाबा की 56वीं पुण्यतिथि संस्थान के 140 देशों में स्थित पांच हजार से अधिक सेवाकेंद्रों पर विश्व शांति दिवस के रूप में मनाई गई। विभिन्न सेवाकेंद्रों पर 20 लाख से अधिक लोगों ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।

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