भारत के उभरते प्रभावशाली नेतृत्व से कुपित देशों की चाल है पहलगाम कांड : साईं मसन्द

छत्तीसगढ़/रायपुर। भारत के उभरते प्रभावशाली नेतृत्व व प्रगति से कुपित देशों की षड्यंत्रकारी चाल है पहलगाम। ये विचार २३ अप्रैल को स्थानीय सड्डू विधानसभा रोड स्थित अविनाश कैपिटल होम्स फेस दो कालोनी में कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा भारत के हिन्दू पर्यटकों की चुन-चुनकर की गई जघन्य हत्या में मृतक लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने आयोजित शोकसभा में कालोनी निवासी परम धर्म संसद १००८ के संगठन मंत्री, मसन्द सेवाश्रम के पीठाधीश प्रख्यात देशभक्त संत साईं जलकुमार मसन्द साहिब ने श्रद्धांजलि सभा के प्रमुख वक्ता के तौर पर व्यक्त किए।
श्रद्धांजलि सभा का आयोजन फ्लैट समिति की लोकप्रिय उपाध्यक्ष श्रीमती विद्या घोंगड़े एवं पत्रकार व वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता प्रभाकर श्रीवास्तव के संयुक्त संयोजन में किया गया। कार्यक्रम का संचालन पूर्व सैनिक व कुशल वक्ता मिर्जा शफी अहमद ने किया। सैकड़ों की संख्या में कालोनी के हर समाज के पुरुष व महिला निवासियों ने श्रद्धांजलि सभा में शामिल होकर मृतक लोगों की स्मृति में मोमबत्तियां जलाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
साईं मसन्द साहिब ने कहा कि भारत के नागरिकों को अब ऐसी श्रद्धांजलि सभाओं में मृतक लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने मात्र मोमबत्तियां जलाने के कर्तव्य तक सीमित न रहकर भारत के विरुद्ध ऐसे षड्यंत्रों की तह में जाकर उसके निराकरण के स्थायी उपायों पर चर्चा भी करना चाहिए। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि युगों से धन-धान्य से परिपूर्ण सोने की चिड़िया कहलाने वाला भारत सारे संसार का कल्याण करने में समर्थ अपने सनातन ज्ञान के आधार पर विश्वगुरु की भूमिका निभाने के बावजूद आजादी से पहले और आजादी के बाद भी दुनिया के अनेक स्वार्थी देशों की लूट और षड्यंत्रों का शिकार बनता रहा है।
इस तारतम्य में उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के नागरिकों को यह बात कभी नहीं भूलाना चाहिए कि लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, महर्षि अरविन्द आदि देश की आजादी के पुरोधाओं द्वारा स्पष्ट किया गया था कि हम भारत को इस लिए आज़ाद कराना चाहते हैं कि हमारा भारत विश्व का कल्याण कर सकने वाली विश्वगुरु की अपनी पूर्ववर्ती भूमिका पुनः निभा सके, जिसे हम एक परतंत्र देश के रूप में नहीं निभा सकते। उन्होंने बताया कि कुछ वर्षों से भारत के पूज्यपाद चारों शंकराचार्यों के नेतृत्व व मार्गदर्शन में दुनिया के १०८ देशों में कार्यरत उनका अंतर्राष्ट्रीय संगठन परम धर्म संसद १००८ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बेहद भ्रष्ट हो चुके भारत के पुनरोद्धार हेतु परम धर्म संसद १००८ का यह रचनात्मक प्रयास एक सर्वश्रेष्ठ उपाय है।