छत्तीसगढ़

शान्ति सरोवर में समर कैम्प : योगासन हमें स्वस्थ और अनुशासित बनाता है…किरण अग्रवाल, फिटनेस ट्रेनर

छत्तीसगढ़/रायपुर : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर सड्ढू में आयोजित समर कैम्प में जीवन में योगासनों का महत्व विषय पर फिटनेस ट्रेनर कु. किरण अग्रवाल ने बच्चों को जुम्बा कराने के साथ ही विभिन्न योगासनों से होने वाले लाभ से परिचित कराया।

फिटनेस ट्रेनर कु. किरण अग्रवाल ने कहा कि योग में हम श्वांसों के आवागमन पर अपने ध्यान को केन्द्रित करते हैं। यह श्वांसों पर नियंत्रण की कला है। श्वांस लेने का भी सही तरीका मालूम होना आवश्यक है। जब हम श्वांस लेते हैं तो हवा अन्दर जाने से हमारा पेट बाहर निकलना चाहिए और श्वांस बाहर छोडऩे पर पेट अन्दर जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो आप बीमारियों का शिकार हो सकते हैं।

उन्होंने बतलाया कि गहरी श्वांस लेने से फेफड़ों तक आक्सीजन पहुंचती है जिससे हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है। शरीर को एनर्जी मिलती है। उन्होंने बच्चों को जुम्बा कराने के बाद अलग-अलग योगासनों की जानकारी दी। उन्होंने सबसे पहले भ्रामरी प्राणायाम की खूबियाँ बतलाते हुए कहा कि यह विद्यार्थियों के लिए बहुत अधिक लाभप्रद है। इससे ब्रेन के छोटे-छोटे सेल्स प्रकम्पित होते हैं। हमारा ब्रेन शार्प होता है और याददाश्त बढ़ती है। इस प्राणायाम को करने के लिए षण्मुखी मुद्रा बनाना चाहिए अर्थात कान, आँख, नाक और मुख के सातों द्वारों को उंगलियों के सहारे बन्द करके भ्रामरी प्राणायाम को करना चाहिए।

इसके बाद उन्होंने ताड़ासन का अभ्यास कराया। इसको करने के लिए दोनों पैरों के बीच एक फीट की दूरी रखें। हमारे पैर अंग्रेजी के एच पोजीशन में होने चाहिए। अब श्वांस अन्दर भरते हुए दोनों हाथों को उपर उठाएं और पंजों के बल खड़े हो जाएं। यह बुजुर्गोंके लिए भी यह अच्छा है। ऐसा करने से कभी घुटनों में दर्द नहीं होगा। इससे शरीर में मजबूती आती है। यह आसन उँचाई बढ़ाने में भी मददगार है। यह खून के प्रवाह को तेज करता है और शरीर का सन्तुलन भी बनाता है।

उन्होंने बच्चों को वृक्षासन और सूर्य नमस्कार करना भी सिखलाया। वृक्षासन हमारी एकाग्रता को बढ़ाता है। उन्होंने ओम की ध्वनि करके मन को एकाग्र करने का अभ्यास कराया।

इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी अदीति दीदी ने सभी बच्चों को आत्म साक्षात्कार कराया। उन्होंने शरीर और आत्मा के सम्बन्ध को स्पष्ट करते हुए निज स्वरूप की जानकारी दी। राजयोग मेडिटेशन में बच्चों ने आत्मिक स्थिति में गहन शान्ति का अनुभव किया।

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