मध्यप्रदेश

Alirajpur : नैतिक मूल्यों की कमी के कारण बच्चों का मन पढ़ाई में कम :- ब्रह्मा कुमार नारायण भाई

अलीराजपुर,13 मई, हर माता-पिता की शुभकामना रहती है कि उनके बच्चे अच्छे बने ,बच्चे कुल के दीपक होते हैं ,राष्ट्र के आधार स्तंभ होते हैं क्योंकि सभ्यता और संस्कृति को चिरंजीवी बनाए रखने के लिए सभी आशाएं उन्हें पर होती है। बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए आध्यात्मिक शिक्षा के बिना नैतिक शिक्षा अधूरी रह जाती है। नैतिकता ही शांति की जननी है। देश में नैतिकता का वातावरण बनने से ही देश में सच्ची शांति होगी और समाज का स्थाई कल्याण होगा। बच्चों की एकाग्रता में नैतिकता की अहम भूमिका होती है। आज नैतिक मूल्य नहीं होने के कारण बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है। जिससे बच्चे चंचल और बुराइयों की ओर अग्रसर होता जा रहा है ऐसे में हम श्रेष्ठ राष्ट्र की क्या कल्पना कर सकते हैं।

यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला की विशेषज्ञ ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने स्वामी विवेकानंद स्कूल में समर वेकेशन में बच्चों के लिए आयोजित कैंप में बच्चों को संबोधित करते हुए बताया कि हमें प्रत्येक दिन रात को सोने से पहले मोबाइल , इलेक्ट्रॉनिक साधनों से 2 घंटे पूर्व इससे छुट्टी लेना चाहिए जिससे हमारा मन शांत मस्तिष्क शक्तिशाली बने। रात को सोने से पहले मां-बाप को प्रणाम करें। सवेरे उठकर परमात्मा से गुड मॉर्निंग करें और माता-पिता को प्रणाम करें। सवेरे राजयोग का अभ्यास करने से मन की आंतरिक शक्तियों बढ़ने लगती है जिससे हमारी आंतरिक बुराइयों पर विजय प्राप्त करने में मदद मिलती है। हमारा मनोबल बढ़ने से पढ़ाई में एकाग्रता बनी रहती है। उन्होंने गांधी जी के तीन बंदर के साथ पांच बंदरों का उदाहरण बताया कि हमें आंखों से बुरा नहीं देखना है, कानों से बुरा नहीं सुनना है, मुख से बुरा नहीं बोलना है, साथ में ही बुरा नहीं सोचना है और बुरा नहीं करना है।

इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन ने बताया एक कविता के माध्यम से की ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार में इस शरीर को चलाने वाली अति सूक्ष्म ज्योति स्वरूप आत्मा हूं और निराकार परमात्मा का बच्चा हूं। यह समझने से हमारे अंदर सारे नैतिक गुण जागृत होते जाएंगे। उन्होंने निर्भयता के ऊपर बताया की निर्भय व्यक्ति ही जीवन में आगे कदम रख सकता है। सच्चाई पर चलने की हिम्मत रखने से कोई कुछ बोले, निंदा ,टीका टिप्पणी करें तो उससे डरना नहीं निर्भय रहना है। अगर अपने में बुरी आदत है तो उसे दूर कर अच्छे संस्कार डालने में भी निर्भयता चाहिए। निर्भय बनने के लिए याद रखें कि मैं चैतन्य ज्योति बिंदु आत्मा हूं ,अमर हूं ,परमात्मा सर्वशक्तिमान का बच्चा हूं। मैं शक्ति स्वरूप हूं।

कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की वाइस प्रिंसिपल प्रार्थना शर्मा ने बताया कि बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक साधनों से अपने को दूर रखना चाहिए। इसका हमारे मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों के मस्तिष्क के सेल्स नाजुक होते हैं। अगर हमें इसकी गलत आदत पड़ गई तो इससे छुटकारा पाना कठिन हो जाता है ।इससे हमारा तन और मानसिक शक्तियों बर्बाद हो जाती है जिसके कारण कई बच्चे अनिद्रा, याददाश्त खो जाना पढ़ाई में मन नहीं लगना इन सभी का कारण इलेक्ट्रॉनिक साधनों का दुरुपयोग है।

कार्यक्रम के अंत में एकाग्रता बढ़ाने के लिए राजयोग का अभ्यास कराया गया और शारीरिक एक्सरसाइज भी कराई गई ।कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षक गण मौजूद थे और करीब 125 बच्चों ने इसका लाभ लिया।

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