धर्म-आध्यात्म

नकारात्मक शब्द मन में गाठ बना लेता है वही असाध्य रोग के रूप में फिर बाहर आता है :- ब्रहमा कुमार नारायण भाई।

मध्यप्रदेश/इंदौर : वर्तमान समय मन का कमजोर होना, ज्यादा सोचने की आदत, पास्ट में जो बीता उसको भूल नहीं पाना ,किसी बात का भय सताना ,अनावश्यक बिना कारण चिंता करना ऐसे विचार हमारे शरीर में खरपतवार की तरह बढ़ते जा रही है जिसके कारण व्यक्ति की समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, मनोबल कमजोर होता जा रहा है इसका प्रभाव हमारे शरीर के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। चाहे हम अच्छी दवाई, भोजन ही क्यों नहीं ले रहे हैं फिर भी हम संपूर्ण रीति से स्वस्थ नहीं हो पाते है। कारण है हमारे नकारात्मक विचार, कमजोर सोच। जब कोइ नकारात्मक विचार बार बार मन में उठता रहता है या एक खास तरह की नकारात्मक परिस्थिति लम्बे समय तक बनी रहती है तॊ उस नकारात्मक संकल्प की मन में गांठ बन जाती है । किसी ने आप को क्रोध से कहा, ‘ तुम घटिया हो’। आप ने इस बात को पकड़ लिया और मन में इसी शब्द से दुखी होते रहे और उन लोगो से बातो में या व्यवहार में टकराने लगे। आप किसी को बताते भी नहीं कि आप के इस बदले व्यवहार का कारण क्या है। मन का यह नकारात्मक शब्द एक गांठ का रूप ले लेता है। यह गांठ किसी न किसी बीमारी के रूप में फूटेगी। कोइ भी असाध्य रोग की जड़ कोइ नकारात्मक शब्द ही है जो आप के मन में गूंज रहा है।

यह विचार जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रहमा कुमार नारायण भाई ने यातायात कंट्रोल ऑफिस में नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत नशा मुक्ति व तनाव मुक्त जीवन के लिए मेडिटेशन की उपयोगिता विषय पर ट्रैफिक पुलिस व स्टाफ को संबोधित करते हुए बताया कि बड़े लोग या महान संत सभी से सम्मान चाहते हैँ ।

इतनी बड़ी दुनिया में कोइ न कोइ उनके विपरीत बोल देता है जिसे वह अपना अपमान समझ लेते हैँ और अंदर ही अंदर आहत होते रहते हैं । बोलते बहुत अच्छा हैँ परन्तु मन से अपमान की गांठ जाती नहीं कई लोग झूठे वादे भी करते है  उन्हे पता होता है यह कार्य पूरा होने वाला नहों है। उनका यह झूट मन में कांटे की तरह चुभता रहता है, जिस से व्यक्ति के मन में अपमान, झूठ, लाचारी, निराशा, झूठे आरोप या कोइ और नकारात्मक बात मन में चलती रहती है। साधारण लोग शराब पीते है या दूसरे नशे करते है जिस के प्रभाव से यह दुःख कुछ समय के लिए समाप्त हो जाता है। कैसी भी विपरीत इमोशन हो, कोइ कुछ कह दें, वह शब्द को ईश्वर को समर्पित करके मन को हल्का बना देना है।

दूसरा भोजन सात्विक होना चाहिए, तीसरा एक अच्छी गहरी नींद हमारे तनाव को कम करती है, चौथा प्रतिदिन जब भी उठे तो मेडिटेशन को मेडिसिंस के रूप में अपने जीवन में शामिल अवश्य करें। यही तनाव से मुक्त होने की सर्वश्रेष्ठ विधि है। कार्यक्रम का प्रारंभ में जिससे हम काफी हद तक तनाव से मुक्त रह सकते हैं। मेडिटेशन हमारे मन को शक्तिशाली बनाता है।

इसके पश्चात ब्रह्मा कुमार रीताशु भाई ने शारीरिक व मानसिक एक्सरसाइज के द्वारा कैसे हम संपूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति कर सकते है और बताया कि हंसना सबसे अच्छी औषधि है जो व्यक्ति खुश रहता है उसका तन भी स्वस्थ रहता है मन भी शक्तिशाली रहता है। नशा मुक्ति के लिए आपने सभी से प्रतिज्ञा कराई।

कार्यक्रम के प्रारंभ में ब्रह्माकुमारी संगीता बहन ने संस्था का परिचय दिया बताया कि यह संस्था निस्वार्थ रीति से मानव मात्र की सेवा में संलग्न है। राजयोग से हमारे विचारों में निखार आता है।

कार्यक्रम के अंत में पूर्वी ट्रैफिक थाना इंचार्ज विजय कुमार शुक्ला जी ने बताया ने बताया कि हमारी गलत सोच, गलत दिनचर्या के कारण मन निर्बल, कमजोर होता जा रहा है, न चाहते भी हम गलत सोच लेते हैं जिससे हमारा शरीर रोगों का घर बन जाता है, इससे बचने के लिए मेडिटेशन औषधि के रूप में कार्य करता है ।यह एक सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पद्धति है जो हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ट्रैफिक पुलिस व अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में सभी को शांति अनुभूति मेडिटेशन के द्वारा कराई गई।

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