छत्तीसगढ़

“प्रकृति की ओर” “पर्यावरणीय भीषणता की ओर : दर्शक न बनें, समाधान सोचें” विषय पर एक विचार संगोष्ठी का सफल आयोजन

रायपुर स्थित वृंदावन हॉल में दिनांक 1 जून 2025 को “प्रकृति की ओर” सोसाइटी के तत्वावधान में “पर्यावरणीय भीषणता की ओर: दर्शक न बनें, समाधान सोचें” विषय पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देने और जलवायु संकट से निपटने हेतु संभावित समाधानों पर केंद्रित रहा।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता श्री नितिन सिंघवी ने वैश्विक और स्थानीय स्तर पर बढ़ते जलवायु परिवर्तन के खतरों पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने अपने वक्तव्य की शुरुआत लॉस एंजेलेस जैसे अंतरराष्ट्रीय शहरों की भयावह पर्यावरणीय स्थिति से की और बताया कि किस प्रकार CO₂ उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधनों का अत्यधिक उपयोग, वनों की कटाई, असमान तापमान वृद्धि और अनियमित वर्षा जलवायु असंतुलन को तीव्र गति से बढ़ा रहे हैं।

श्री सिंघवी ने बताया कि अब जलवायु परिवर्तन जलवायु संकट बन गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन अब केवल भविष्य की आशंका नहीं, बल्कि वर्तमान की सच्चाई बन चुका है, जिससे आने वाले समय में चरम मौसमी घटनाएं बढेंगी, जैसे अचानक बहुत पानी गिरना, तेज आंधी चलना, भीषण गर्मी पडना, अचानक और तेज बारिश से पहाड़ी इलाकों में भू-स्खलन होना और बादल फटना, बिजली गिरने की घटनाओं की संख्या में बढ़ोतरी होना। उन्होंने बताया कि ग्लेशियर पिघल रहे हैं, आने वाली पीढ़ियां हिमालय में बर्फ नहीं देखेंगी। हवाई उड़ानों में तुर्बुलेंस और व्यवधान की घटनाएं बढेंगी।

श्री सिंघवी ने क्लाइमेट एडॉप्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रायपुर सहित देश के अनेक शहर अब “अर्बन हीट आइलैंड” बन चुके हैं, जहाँ कंक्रीट और धातु से बने ढांचे, डामर की सड़कें दिन में गर्मी को तेजी से अवशोषित करते है और रात को उस गर्मी को छोड़ते हैं। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए शहरों में “अर्बन फॉरेस्ट” विकसित करने, प्राकृतिक जल स्रोतों की पुनर्बहाली, तथा वर्षा जल संरक्षण जैसे ठोस उपायों की आवश्यकता बताई।

समाधान हेतु सुझाव:

प्रत्येक नागरिक को वृक्षारोपण के लिए आगे आना चाहिए, जंगल बचाने के लिए कार्य करना चाहिए।

सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए ताकि कोयले की पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता घटे।

बिजली एवं जल की बचत को जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए।

कार्यक्रम के अंत में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों पर बल दिया गया। संगोष्ठी में “प्रकृति की ओर” सोसाइटी के अध्यक्ष श्री मोहन वर्ल्यानी, सचिव श्री निर्भय धाडीवाल, डॉ. विजय जैन, डॉ. अनिल चौहान, श्री दलजीत बग्गा, श्री डी के तिवारी, डॉ पुरुषोत्तम चंद्राकर, श्री लक्ष्य चौरे, श्री सुरेश बानी , लक्ष्मी यादव, छतर सिंह सलूजा, एंकर शाइनिंग श्वेता, डॉ. पायल सिंघानिया, श्री संजय शर्मा सहित अनेक प्रबुद्ध नागरिक, पर्यावरण प्रेमी, विद्यार्थी एवं युवा वर्ग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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