ब्रह्माकुमारीज़ के तपोवन परिसर में वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान एवं विकसित कृषि संकल्प अभियान कार्यक्रम में जैविक-यौगिक खेती पर…

आबूरोड। ब्रह्माकुमारीज़ के तपोवन परिसर में संस्थान के कृषि एंव ग्राम विकास प्रभाग और कृषि विभाग के संयुक्त तत्वावधान में वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान एवं विकसित कृषि संकल्प अभियान को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें किसानों को जैविक-यौगिक खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
जोेधपुर से आए कृषि तकनीकी अनुप्रयोग अनुसन्धान संस्थान के निदेशक डॉ. जेपी मिश्रा ने कहा कि खेती में सफलता के लिए सबसे जरूरी है कि किसान वैज्ञानिक विधि से खेती करें। इससे ही हम खेती में सुधार कर पाएंगे और अच्छा उत्पादन ले पाएंगे। आज खेती में टेक्नोलाजी का भी उपयोग करना जरूरी है। किसान प्राकृतिक तरीके से अपने घर व खेत में ही जैविक खाद तैयार करें। कम से कम रासायनिक खाद का उपयोग करें।
जोधपुर अटारी के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. बीएल जांगिड़ ने कहा कि खेती के साथ आज किसानों के लिए सबसे जरूरी है कि मन की शांति और तन का सुख। खेती को खुशी-खुशी, प्रसन्नता के साथ करें। सरकारी योजनाओं का लाभ लें। उन्नत तरीके से खेती करेंगे तो कम लागत में अधिक उत्पादन होगा।
खेती की नई पद्धतियों को अपनाएं किसान-
सिरोही के कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. सुरेश कुमार खिंची ने कहा कि किसान भाई विकसित कृषि की नई-नई पद्धतियों को अपनाकर कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकते हैं। इस अभियान का यही मकसद है कि किसानों की आय बढ़े और उनका जीवन स्तर सुधरे। देश के 700 जिलों में दो हजार से अधिक वैज्ञानिक दलों द्वारा किसानों को विकसित कृषि संकल्प अभियान की जानकारी दी जा रही है। नाबार्ड के डीडीएम दिनेश प्रजापत ने भी विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी देते हुए किसानों से जल संरक्षण का आहृान किया।
ड्रिप पद्धति से सिंचाई पर होती है 80 फीसदी पानी की बचत-
उद्यान विभाग के उप निदेशक डॉ. हेमराज मीणा ने कहा कि किसान सबसे अधिक पानी का उपभोग करते हैं। इसलिए किसान भाइयों को जल संरक्षण की विधि सीखना सबसे जरूरी है। किसान यदि ड्रिप पद्धति से सिंचाई करते हैं तो 80 फीसदी पानी की बचत होती है। इसलिए खुले पानी की जगह ड्रिप का ही उपयोग करें। आत्मा परियोजना के उप निदेशक डॉ. ओम प्रकाश बैरवा ने कहा कि किसान भाई-बहनें सावधानी के साथ जल का उपयोग करें। जल बचाना बेहद जरूरी है। अपने आसपास के जो कुएं हैं उन्हें साफ रखें। तालाब-बावड़ियों का संरक्षण करने से उनके ज्यादा वर्षा का जल संरक्षित हो सकेगा।
यौगिक खेती के बारे में बताया-
राजऋषि गोकुल ग्राम प्रकल्प के संयोजक बीके चंद्रेश भाई ने कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा विकसित किए गए गोकुल गांव के मॉडल के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यदि किसान ठान लें तो अपने गांव की तस्वीर बदल सकते हैं। यौगिक खेती में नए-नए प्रयोग कर रहे बीके भीका भाई ने वीडियो के माध्यम से किसानों को जैविक खाद बनाने की विधि बताई। साथ ही यौगिक खेती की बारीकियों को गहराई से बताया। डॉ. पन्नालाल चौधरी ने भी संबोधित किया।
भीनमाल की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके गीता दीदी ने कहा कि किसान सबसे आत्म विश्वासी होता है। जीवन में कितनी भी विपरीत परिस्थिति आए लेकिन कभी धैर्य नहीं खोएं। हिम्मत के साथ काम लें। खेती को खुशी के साथ करें। आपने राजयोग मेडिटेशन से सभी को शांति की गहन अनुभूति भी कराई।
इस मौके पर प्रभाग के बीके शशीकांत भाई, बीके प्रहलाद भाई, बीके सुमंत भाई, बीके लल्लन भाई भीका भाई सहित जिलेभर से आए कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी और आसपास के गांवों से आए किसान मौजूद रहे। संचालन रेडियो मधुबन की बीके कृष्णा बहन ने किया।