छत्तीसगढ़

मनुष्य की बेलगाम इच्छाएं तनाव पैदा कर रही हैं …ब्रह्माकुमारी चन्द्रकला दीदी

रायपुर : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा रोड स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में राजयोग ध्यान समारोह का आयोजित किया गया। विषय था: आन्तरिक शान्ति और विश्व सद्भावना (Inner Peace & Global Harmony)।

समारोह मेें बोलते हुए वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी चन्द्रकला दीदी ने कहा कि वर्तमान भौतिक युग में लोगों की आकाक्षाएं बढ़ती जा रही है। इन बेलगाम इच्छाओं के कारण जीवन में तनाव बढ़ रहा है और तनाव के कारण लोग अनेकानेक बिमारियों के शिकार होते जा रहे हैं। जीवन में तनाव को दूर करने का सबसे अच्छा साधन मेडिटेशन यानि ध्यान करना है। उन्होंने राजयोग मेडिटेशन का उल्लेख करते हुए बतलाया कि इससे मन शान्त होता है और एकाग्रता बढ़ती है। ध्यान से हमें शारीरिक और मानसिक लाभ तो होता ही है। परस्पर एकता और सद्भावना भी जागृत होती है। राजयोग से हमें आत्म निरीक्षण का अवसर मिलता है।

 

हार्टफुलनेस मेडिटेशन के जोनल कोआर्डिनेटर एवं प्रशिक्षक देवनारायण शर्मा ने कहा कि विश्व में उथल-पुथल मची हुई है। कई देश अहंकार और दुर्भावना के कारण आपस में लड़ रहे हैं। ऐसे माहौल में आन्तरिक शान्ति और वैश्विक सद्भावना की बहुत अधिक जरूरत है जो कि एकमात्र ध्यान साधना के माध्यम से ही संभव है। उन्होंने अलग-अलग ध्यान पद्घति के साधकों को एक मंच पर लाने के ब्रह्माकुमारीज के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ध्यान करने से जीवन में परिवर्तन आता है। एक व्यक्ति के ध्यान करने से पूरे घर के वातावरण में शुद्घता आ जाती है।

योग आयोग के मुख्य प्रशिक्षक प्रो. छबि राम साहू ने महर्षि पातजंलि द्वारा सिखए गए अष्टांग योग की चर्चा करते हुए कहा कि ध्यान का अभ्यास देवत्व को जागृत करने का प्रयास है। आन्तरिक शान्ति से ही विश्व में सद्भावना आ सकती है। उन्होंने यम नियम प्राणायाम प्रत्याहार धारणा और ध्यान की चर्चा करते हुए बतलाया कि ध्यान साधना हमारे विचारों पर नियंत्रण करने की कला है।

ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी ने कहा कि राजयोग ध्यान पद्घति परम सत्य को जानने और उनसे सम्बन्ध जोडऩे का माध्यम है। यह हमें जाति धर्म और भाषा आदि के भेदभाव से परे ले जाकर हमारे निज स्वरूप आत्मा और परमात्मा का यथार्थ परिचय कराता है। उन्होंने सभा में राजयोग का व्यवहारिक अभ्यासक राएंगी।

कार्यक्रम का सुचारू रूप से संचालन ब्रह्माकुमारी दीक्षा दीदी ने किया।

 

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