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ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने की सेल्फ एम्पॉवरमेंट कैंपेन की लांचिंग, देशभर से सेना के अधिकारी-जवानों ने लिया भाग

आबूरोड, राजस्थान। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में सुरक्षा सेवा प्रभाग द्वारा शुरू किए जा रहे देशव्यापी स्व सशक्तिकरण से राष्ट्र सशक्तिकरण (सेल्फ एम्पॉवरमेंट) कैंपेन की दीप प्रज्जवलन कर लांचिंग की। साथ ही पांच दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित किया। इसमें देशभर से 400 सेना के अधिकारी और जवानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में राजस्थान के तीन मंत्री केके विश्नोई, जोराराम कुमावत और ओटाराम देवासी विशेष रूप से मौजूद रहे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 42 मिनट के अपने संबोधन में योग से लेकर अध्यात्म, सेना, भारतीय अर्थव्यवस्था और सेल्फ एम्पॉवरमेंट पर बात की। उन्होंने कहा कि मैं एक योगी और सैनिक में खास अंतर नहीं देखता हूं। साधक के जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य और ध्येय मानवता की सेवा करना ही होता है। सैनिक और साधक दोनों एक सुरक्षित, बेहतर और शांतिपूर्ण समाज की स्थापना के लिए कार्य करते हैं। एक सच्चे सैनिक के अंदर एक साधक और एक साधक के अंदर एक सैनिक जरूर विद्यमान रहता है। सैनिक जो सीमा पर हमारी सुरक्षा कर रहे हैं वह योग साधना का ही एक रूप है। राष्ट्र की रक्षा केवल शस्त्र से नहीं होती है, यह होती है चेतना से, चरित्र से और चैतन्यता से। इसके लिए आध्यात्मिकता और योग सबसे बड़ा साधन है। यह अभियान महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि हम अपने सैनिकों को केवल शस्त्रधारी नहीं बल्कि शास्त्रधारी भी बना सकें। हम केवल उन्हें लड़ाई के लिए नहीं बल्कि आत्म बल के लिए भी तैयार कर सकें।

सिंह ने कहा कि आज एआई का दौर चल रहा है। हमें देश-दुनिया की पल-पल की खबरें पता चल रही हैं लेकिन हमें यह पता नहीं चल रहा है कि हमारे भीतर क्या चल रहा है। हम पूरी दुनिया की खबर रखते हैं लेकिन अपनी खबर नहीं रखते हैं। हमारे सैनिक भी पूरी दुनिया की चीजें देखते हैं लेकिन अपने अंदर नहीं झांकते हैं। हम बाहरी दुनिया से तो जुड़ जाते हैं लेकिन अपने आप से नहीं जुड़ पाते हैं।

 

आज भारत बोलता है तो दुनिया कान लगाकर सुनती है-

रक्षामंत्री सिंह ने कहा कि वर्षों पहले दुनिया के देशों में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यदि कोई जाकर बोलता था तो भारत की बातों को उतनी गंभीरतापूर्वक नहीं लिया जाता था। लेकिन आज भारत का कद और सिर इतना ऊंचा हो गया है कि भारत जब बोलता है तो पूरी दुनिया कान लगाकर सुनती है। लोग कहते थे कि यह गरीबों-भिखारियों का देश है। करिश्मा हुआ है। जो भारत 2014 के पहले 11वें स्थान पर था, वह धन-दौलत, इकोनॉमी के मामले में पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। अब भारत को कोई रोक नहीं सकता है। दो साल के बाद भारत अर्थ व्यवस्था के आकार के मामले में दुनिया में टॉप 3 देशों में शामिल हो जाएगा। मुझे लगता है कि आजादी के सौ वर्ष पूरे होने तक भारत शिखर पर होगा। यह सब इसलिए हो रहा है कि हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं।

 

सेल्फ एम्पॉवरमेंट कैंपेन पर बोले रक्षा मंत्री-
रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि अभियान की जो थीम है- आत्म सशक्तिकरण से राष्ट्र सशक्तिकरण यह थीम अपने आप में बेहद इंस्ट्रेस्टिंग है। पूरी दुनिया में फिलहाल इस तरह की स्थितियां हैं। इसलिए यह थीम और भी प्रासांगिक हो जाती है। यह कैंपेन राष्ट्र को और मजबूत करेगा। जो भारतभर में सूर्यवीर बैठे हैं उनके आत्मिक शक्ति देगा। उनका यहां आने पर आत्म रुपांतरण होगा। आत्म रुपांतरण बीज है और राष्ट्रीय रुपांतरण उसका फल है। आत्म रुपांतरण करने का यह अभियान योग, सकारात्मक चिंतन और आत्म संवाद के माध्यम से हमारे वीर जवानों को मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक बल देगा। मैं इसके लिए शीश झुकाकर आपका अभिनंदन करता हूं।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर बोले सिंह-
उन्होंने कहा कि आज भारत राष्ट्र के रूप में चारों ओर से सुरक्षित है। जो यहां बैठे हुए लोग हैं, इनके कारण आज भारत सुरक्षित है। दुनियाभर में तमाम अनिश्चितताओं के बावजूद आज भारत प्रगति कर रहा है। हमारे सिक्योरिटी फोर्स के जवान सीमाओं पर महीनों गुजर जाते हैं परिवार से कोई संपर्क नहीं हो पाता है। ऐसे वीर जवानों की वजह से ही भारत के लोग चैन की सांस ले पा रहे हैं। एक सैनिक के लिए फिजिकल स्ट्रेंथ के साथ-साथ मेंटल स्ट्रेंथ भी चाहिए होती है। सैनिक घने जंगलों से लेकर ग्लेशियर के बीच लड़ाइयां लड़ते हैं। इसके लिए फिजिकल स्ट्रेंथ के साथ मेंटल स्ट्रेंथ होना भी जरूरी है। सैनिक को विपरीत परिस्थिति में लड़ने की ऊर्जा उनके अंतर्मन से आती है। लंबे समय तक विपरीत परिस्थितियों में सेवा करने के कारण सैनिक का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है, ऐसे में ब्रह्माकुमारीज़ का सैनिक के कल्याण के लिए आगे आना सराहनीय कदम है।

यहां आध्यात्मिक तरंगे तैर रही हैं-
रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि यहां ब्रह्माकुमारीज़ ने राजयोग साधना के माध्यम से ऊर्जा की तरंगों काे फैलाया है। यह मैं सहज अनुभव कर सकता हूं। यहां अद्भुत बाइव्रेशन हैं। यहां कहीं मंदिर नहीं है, गिरिजाघर, मस्जिद नहीं हैं। लेकिन फिर भी गजब के बाइव्रेशन हैं। यहां आध्यात्मिक तरंगे तैर रही हैं। यहां मंत्री, सांसद सभी के साथ मिलकर जनता के बीच बैठे हैं। यहां आकर हर कोई अहंकार शून्य हो जाता है। मनुष्य अपने जीवन में अलंकारों से अलंकृत नहीं हो सकता है। मनुष्य अपने जीवन में अपनी कृतियों के कारण ही अलंकृत हो सकता है। लोग कहते हैं कि बहुत सारे लोग हैं जो कभी मंदिर नहीं जाते, पूजा नहीं करते, मस्जिद नहीं जाते, इबादत करते हैं फिर भी बड़े मन के लोग हैं। मैंने कहा कि स्प्रीचुअल होने के लिए आवश्वयक नहीं है। आस्था सबके प्रति होना चाहिए। मनुष्य का मन जैसे-जैसे बड़ा होता चला जाता है, वैसे-वैसे वह आध्यात्मिक ऊंचाईयों को हासिल करता जाता है। आत्मा एक सर्किल है, जैसे-जैसे मन का सर्किल (परिधि) बढ़ाते जाएंगे उसी अनुपात में आपको सुख, आनंद की अनुभूति होती चली जाएगी। परमानंद की कोई सीमा नहीं होती है। परमानंद जिसको प्राप्त हो गया, उसको परमात्मा की प्राप्ति होती है। इस सृष्टि का संचालन करने वाली जो सत्ता है उसकी प्राप्ति होती है।

संस्था ने भारतीय संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाया है-
रक्षा मंत्री ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ ने नि:स्वार्थ भाव से पूरी मानवता के आध्यात्मिक विकास और आत्मिक बल बढ़ाने के लिए कार्य किया है। सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के सौ से अधिक देशों में लगातार काम कर रहे हैं। जिस तरह से संस्था ने भारतीय संस्कृति और प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया है, उसके लिए यथारत कभी ब्रह्माकुमारीज़ को भूलेगा नहीं। जो भी यहां आता है तो यहां के स्प्रीचुअल बाइव्रेशन की ग्रिप में आ जाता है। यहां आने के लिए तो दरवाजे खुले हैं लेकिन जाने के लिए नहीं। माउंट आबू की चोटी पर स्थित ब्रह्माकुमारीज़ का यह सुंदर सा वह केंद्र है जहां अहं ब्रह्मास्मि, मैं ही ब्रह्म हूं की धारणा केवल ग्रंथों तक सीमित नहीं रह जाती है, बल्कि वह मानव की अनुभूति तक पहुंचती है। मैं संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को श्रद्धांजली अर्पित करता हूं। जिन्होंने योग, तपस्या, साधना से लाखों लोगों का जीवन बदला है। इसके पहले मैं गृहमंत्री रहते हुए यहां आया था उनके सान्निध्य और दर्शन मुझे प्राप्त हुआ था।

सुरक्षा सेवा प्रभाग की सेवाओं को सराहा-
रक्षा मंत्री ने कहा कि सुरक्षा सेवा प्रभाग लंबे समय से हमारे सेना के जवानों को मानसिक रूप से सशक्त बनाने का कार्य कर रहा है। संस्थान में पूरे राष्ट्र में अध्यात्म का जो जन-जागरण अभियान चलाया है, उससे समाज को एक सकारात्मक दिशा प्राप्ति हुई है।

पहले अपने भीतर के भय को हराना होगा-
रक्षा मंत्री ने कहा कि समय की जरूरत है कि चाहे आम नागरिक हों या सैनिक हों, उनके पास आध्यात्मिक शक्ति होनी चाहिए। अध्यात्म, तनाव, चिंता, और भावनात्मक ऊथल-पुथल से निपटने में मदद करेगा। बाहरी दुनिया को जीतने के पहले अपने भीतर के भय को हराना भी जरूरी है। ऐसी स्थिति में योग,ध्यान और अध्यात्म की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। आत्मिक बल हमें अंदर से सशक्त और मजबूत बनाता है। राजस्थान का कण-कण महाराणा प्रताप के शौर्य से वाकिफ है। महाराणा ने घास की रोटी खाना स्वीकार किया, लेकिन कभी अपने स्वाभिमान के आगे नहीं झुके। यह बिना आत्मबल के संभव नहीं है।

राजयोग से मनोविकार हो जाते हैं दूर-

अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके जयंती दीदी ने कहा कि सेना का त्याग और अनुशासन का जीवन होता है। आप सभी की बदौलत हम सुरक्षित रहते हैं। हर एक व्यक्ति के अंदर एक दिव्य ज्योति है। जब हम उसे पहचान लेते हैं तो आत्मा में दिव्य शक्तियां आ जाती हैं। राजयोग से मनोविकार दूर हो जाते हैं और मन शक्तिशाली बन जाता है। राजयोग का अभ्यास धर्म की सीमाओं से परे है। इससे हमारी निर्णय शक्ति बढ़ती है। अतिरिक्त महासचिव डॉ. बीके मृत्युंजय भाई ने भी विचार व्यक्त किए।

सेना के साथ साइन किया एमओयू-
रक्षा मंत्री की मौजूदगी में ब्रह्माकुमारीज़ के सुरक्षा सेवा प्रभाग और भारतीय सेना के बीच एक एमओयू साइन किया गया। इसके तहत सुरक्षा सेवा प्रभाग सेना के देशभर के सेवानिवृत्त अधिकारी और जवानों के लिए हर माह सेल्फ एम्पॉरमेंट प्रोग्राम चलाएगा। एमओयू में विशेष रूप से प्रभाग की उपाध्यक्षा बीके शुक्ला दीदी, राष्ट्रीय संयोजक कर्नल वीसी सती सिंह, रिटायर वाइस एडमिरल सतीश सिंह घोरमड़े की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

एमओयू में क्या होगा खास-
एमओयू के तहत ब्रह्माकुमारीज़ के राजयोग एक्सपर्ट सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी और जवानों को राजयोग मेडिटेशन, माइंड मैनेजमेंट, स्ट्रेस मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट, स्लीप मैनेजमेंट, लाइफ मैनेजमेंट, सेल्फ मैनेजमेंट की कला सिखाई जाएगी। इसमें खासकर सेवानिवृत्त जवानों को हर माह मोटिवेशनल क्लासेस के माध्यम से मानसिक, भावनात्मक स्तर पर मजबूत बनाने का प्रयास किया जाएगा, ताकि वह मनोबल, प्रसन्नता और स्वस्थ रहकर जीवनयापन कर सकें।

हवाई पट्‌टी पर किया स्वागत-

रक्षामंत्री के मानपुर हवाई पट्‌टी पहुंचने पर जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर अल्पा चौधरी, एसपी अनिल कुमार, जिले के प्रभारी मंत्री केके विश्नोई, राज्यमंत्री ओटाराम देवासी, कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत, सांसद लुंबाराम चौधरी, भाजपा जिलाध्यक्ष रक्षा भंडारी, ब्रह्माकुमारीज़ की ओर से डॉ. सविता दीदी, रिटायर वाइस एडमिरल सतीश घोरमड़े ने स्वागत किया।

मंचासीन अतिथि-
इस मौके पर विशेष रूप से अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी, सुरक्षा सेवा प्रभाग की उपाध्यक्ष बीके शुक्ला दीदी, वाइस एडमिरल सतीश घोरमड़े, रिटायर स्काड्रन लीडर प्रभाग के अध्यक्ष अशोक गाबा, पूर्व सीजीडीए देविका रघुवंशी विशेष रूप से मंच पर मौजूद रहीं।

झलकियां-
– डायमंड हाल पहुंचते ही सबसे पहले रक्षा मंत्री सिंह ने पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी रतन मोहिनी को श्रद्धांजली अर्पित की।

– वरिष्ठ पदाधिकारियों ने राजस्थानी पगड़ी पहनाकर किया स्वागत।

– राजयोग मेडिटेशन के अभ्यास के दौरान रक्षा मंत्री ध्यान में डूबे नजर आए।

– सुरक्षा सेवा प्रभाग की 25 वर्ष की यात्रा का वीडियो शो दिखाया गया।

– मानपुर हवाई पट्‌टी से कार्यक्रम स्थल शांतिवन तक जगह-जगह जवान तैनात रहे। सुरक्षा के रहे कड़े बंदोबस्त।

– शांतिवन में सुरक्षा-व्यवस्था को अधिकारी और जवान अलर्ट रहे।

– स्वागत गीत बीके युगरतन भाई ने पेश किया।

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