कानपुर व लखनऊ में हुए साईं मसन्द साहिब के प्रभावी व्याख्यान, परम धर्म संसद कर रहा आज़ादी के उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास…

दोनों कार्यक्रमों में साईं मसन्द साहिब जी ने शहीद हेमू कालाणी के साथ-साथ देश की आज़ादी के लिए अपनी कुर्बानी देने वाले ज्ञात-अज्ञात लाखों शूरवीरों के प्रति श्रद्धांजलि एवं आज़ादी के आंदोलन में भाग लेने वाले करोड़ों स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति आदरभाव व्यक्त किया और बताया कि देश की आज़ादी मुख्य रूप से भारत द्वारा युगों से समूचे विश्व का कल्याण करने वाले विश्वगुरु का पूर्ववर्ती दायित्व पुन: निभाने हेतु लड़ी गई थी। उन्होंने बताया कि इस बात का उल्लेख आज़ादी आंदोलन के पुरोधाओं बाल गंगाधर तिलक, महर्षि अरविंद आदि के तत्कालीन व्याख्यानों के अभिलेखों में दर्ज है।
साईं मसन्द साहिब जी ने बताया कि वे पिछले तेरह वर्षों से देश के चारों शंकराचार्यों के मार्गदर्शन में प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत ही सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित शासन स्थापित करवाकर भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने का योजनाबद्ध अभियान चला रहे हैं। इसका सुखद परिणाम हुआ सन् २०१८ में द्वारिका मठ और ज्योतिर्मठ, दो पीठों के शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा उनके एक सुयोग्य शिष्य स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज, जो वर्तमान में ज्योतिर्मठ के जगद्गुरू शंकराचार्य हैं, के संयोजकत्व में परम धर्म संसद १००८ का गठन होना।
साईं मसन्द साहिब जी ने बताया कि परम धर्म संसद १००८ भारत के चारों शंकराचार्यों के नेतृत्व व मार्गदर्शन में कार्यरत भारत सहित कुल एक सौ देशों की १००८ धार्मिक और सामाजिक विभूतियों का समूचे विश्व के हिन्दू समाज के लिए एक मार्गदर्शक संगठन है। परम धर्म संसद १००८ देश में सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित शासन स्थापित करने की दिशा में मजबूत आधार तैयार करने हेतु लगभग दो वर्षों से विश्वस्तर पर गौ प्रतिष्ठा अभियान चला रहा है। इसके तहत केन्द्र शासन से गौमाता को पशु सूची से हटा कर उसे राष्ट्रमाता घोषित करने एवं उसकी हत्या पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया है।