बिलासपुर : आरएसएस का 20 दिवसीय कार्यकर्ता विकास वर्ग सम्पन्न : दीपक विस्पुते ने कहा- समृद्ध भारत बनाने में अपना योगदान दें।

छत्तीसगढ़/बिलासपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित कार्यकर्ता विकास वर्ग (प्रथम सामान्य वर्ग) का समापन बिलासपुर के कोनी स्थित सरस्वती शिशु मंदिर परिसर में हुआ। आठ मई से शुरू हुए इस प्रशिक्षण वर्ग में मध्य क्षेत्र के 308 स्थानों से 382 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। इनमें कृषक, महाविद्यालयीन छात्र, व्यवसायी, कर्मचारी, अधिवक्ता, अभियंता, चिकित्सक और प्राध्यापक सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग शामिल थे।
कार्यवाह विकम सिंह ने समापन समारोह में वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह वर्ग सुबह 4:45 बजे जागरण से प्रारंभ होकर रात 10:45 बजे तक चलता रहा। इस दौरान शारीरिक, बौद्धिक और श्रम साधना के विविध सत्र आयोजित किए गए। स्वयंसेवकों को सेवा कार्य, संपर्क एवं प्रचार विभाग के कार्यों के प्रति व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ लोकनाचा राष्ट्रीय रासधारी डॉ. उग्रसेन कननौजे ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकम में भाग लेना अपने जीवन का गौरव बताया। उन्होंने कहा कि संघ का प्रयास हिन्दू पद्धति एवं छोटे-छोटे समाजों को स्थायी बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख दीपक विस्पुते ने कहा कि प्राचीन भारत श्रेष्ठ भारत था, लेकिन हजारों वर्ष के शासन में समाज में आत्मगौरव का अभाव हुआ। उन्होंने बताया कि संघ पिछले सौ वर्षों से समाज और राष्ट्र जागरण के लिए कार्यरत है। उन्होंने समाज से आग्रह किया कि वह एक श्रेष्ठ, दिग्विजयी, समरस और समृद्ध भारत के निर्माण में अपना योगदान दें। उन्होंने 2047 तक भारत को विश्व नेतृत्व करता हुआ देखने की कामना व्यक्त की।
कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन शाम 6:15 बजे किया गया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने घोष, समता, आसन, नियुद्ध, पद विन्यास, दंड संचालन और राष्ट्रभक्ति गीत का मनमोहक सामूहिक प्रदर्शन किया। विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस के अवसर पर कार्यकर्ता विकास वर्ग के शिक्षार्थियों, शिक्षकों और अधिकारियों ने पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया। साथ ही खाद्यान्न और जल संरक्षण, प्लास्टिक वस्तुओं के पुनः उपयोग पर एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। इको वृक्ष एवं सीड बाल के निर्माण का कार्य भी किया गया। इस प्रकार यह वर्ग न केवल स्वयंसेवकों को शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाने का माध्यम बना, बल्कि पर्यावरण संरक्षण एवं सामाजिक जागरूकता के लिए भी प्रेरणा स्रोत साबित हुआ।