छत्तीसगढ़

ED ने DMF घोटाले में माया वारियर को किया गिरफ्तार, रानू साहू के समय….

छत्तीसगढ़/रायपुर : डीएमएफ घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ED ने माया वारियर को गिरफ्तार कर लिया है. कोरबा में माया आदिवासी विकास विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर पद पर रह चुकी हैं. ED ने उन्हें रायपुर के विशेष न्यायालय में पेश किया और 7 दिन यानि 23 अक्टूबर तक कस्टोडियल रिमांड पर लिया है।

साल 2022 में ईडी ने डीएमएफ घोटाले को लेकर भिलाई स्थित जुनवानी के चौहान टाउन में दबिश दी थी। माया वारियार के घर पर टीम ने जांच की थी. इस समय माया वारियर कोरबा जिले में परियोजना प्रशासक, एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना एवं प्रभारी सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास के पद पर पदस्थ थी. वे पहले दुर्ग में आदिम जाति कल्याण विभाग में सहायक संचालक थीं. बताया जाता है कि कोरबा में कलेक्टर रानू साहू की पदस्थापना के दौरान माया वारियर का तबादला वहां हुआ और तब से वे इसी जिले में पदस्थ थीं। माया वारियर पर रानू साहू के कार्यकाल में DMF के फंड के अनाप-शनाप खर्च के आरोप लगते रहे हैं. यही वजह है कि DMF की केंद्र बिंदु रही माया वारियर के निजी आवास में ईडी ने छापा मारा था और अब उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने 23 अक्टूबर तक माया को ईडी की रिमांड पर सौंपा है. इस दौरान पूछताछ में कई खुलासे हो सकते हैं। छत्तीसगढ़ DMF घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ED ने माया वारियर को गिरफ्तार कर लिया है।कोरबा में माया आदिवासी विकास विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर पद पर रह चुकी हैं। ED ने उन्हें कोर्ट में पेश किया और 23 अक्टूबर तक रिमांड पर लिया है।

DMF घोटाले में यह पहली गिरफ्तारी है। ED ने मंगलवार को माया वारियर को पूछताछ के लिए बुलाया था। बताया जा रहा है कि जेल में बंद कोरबा की तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू की माया करीबी थीं। इसी मामले में ED निलंबित IAS रानू साहू से भी प्रोडक्शन वारंट पर हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती थी, लेकिन बताया गया कि तबीयत खराब होने के चलते उन्हें कोर्ट में कोर्ट में पेश नहीं किया जा सकता है। अब इस मामले में कल (गुरुवार) को सुनवाई होगी। प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकाल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमित की गई है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।

 

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